डॉक्टर साहब मेरा बच्चा सब्ज़ी नहीं खाता, क्या करूं?

मेरा बच्चा सब्ज़ी नहीं खाता, क्या करूं?? लगभग हर माँ को इस समस्या से दो चार होना पड़ता है. मैंने इसी समस्या को सुलझाने के लिए कुछ छोटे छोटे लेकिन महत्वपूर्ण और उपयोगी टिप्स शेयर करने की कोशिश की है.
आइये जानते हैं, कुछ छोटे छोटे लेकिन रोज़मर्रा के कुछ जरूरी सूत्र.
1. बच्चों के पीछे पड़कर, खाने को उनके लिए एक सज़ा नही बनाइये. उनको खाने से प्रेम करना सिखाइये और खाने के लिए ईश्वर और उससे जुड़े इंसानों का शुक्रगुज़ार होना सिखाइये.
प्रेम से और बारबार उनको, सभी प्रकार के खाने की विशेषता और उसकी गुणवत्ता से परिचय कराइये. बिना डराये धमकाये, उनको प्रेमपूर्वक सब्जी और फलों के फायदे के बारे में बताएं. थोड़ा समय और धीरज की जरूरत तो होगी, लेकिन आप संयम बनाये रखें.
2. बच्चों को तो छोड़िए, मैंने तो कई बार ये तक देखा है कि स्वयं अभिभावक भी खाने और विशेषकर सब्ज़ियों को देखकर नाक भौं सिकोड़ लेते हैं. ऐसी स्थिति में आप अपने बच्चों से रत्ती भर भी अपेक्षा ना रखें कि वो प्रेमपूर्वक खाने को ग्रहण करेंगे.
याद रखिए, बच्चा आपको सुनकर कम और देखकर और अनुसरण करके ही ज़िन्दगी जीने का तरीका चुनता है. इसलिये बच्चे को उपदेश देने और कुछ भी सिखाने के पहले स्वयं सभी फलों और सब्जियों का आनंद लेना सीखें.
3. बच्चे रंगों को खूब पसंद करते हैं. इसीलिए उनका खाना ज़्यादा से ज़्यादा विभिन्न सब्ज़ियों का इस्तेमाल करके रंगीन बनाने की कोशिश करें. जिसको देखके उनके मुँह में पानी आ जाए और वो खाने पर टूट पड़े.
4. सभी बच्चों को पास्ता और नूडल्स बहुत पसंद आते हैं. व्यक्तिगत तौर पर मैं अपने बच्चों को गेहूं से बना wholewheat पास्ता और नूडल्स, ढेर सारी सब्ज़ियां डालके देती हूँ, जिसे वे बड़े शौक से खाते हैं, और सब्जियों के फायदे भी उन्हें मिल जाते हैं.
5. बच्चों को टीवी के सामने बैठकर ना खाने दें. उन्हें खाने के पहले कुछ क्षण प्रार्थना करके, परमपिता परमेश्वर को धन्यवाद देकर, खाना ग्रहण करना सिखाएं. उन्हें बताएं कि विश्व में लाखों करोङों बच्चे रोज़ रात को गरीबी के चलते भूखे पेट सोने को मजबूर रहते हैं और कुपोषण और बीमारियों का शिकार होते हैं. इसीलिए हमें अपने खाने के लिए प्रभु का और किसानों का एहसानमंद रहना चाहिए.
6. कृपया,अपनी सहूलियत के लिए बच्चे को मोबाइल और टीवी के सामने बैठाकर उनके मुँह में ज़बरदस्ती खाना ना ठूंसे. बल्कि उन्हें खाने का स्वाद और सुगंध लेने के लिए और खाना शांतिपूर्वक चबा चबाकर खाना सिखाएं.
7. बच्चों को सिखाएं कि खाने का सम्मान करें. जितना ज़रूरी हो सिर्फ उतना ही लें. थाली में जूठन ना छोड़ें. जूठी थाली स्वयं उठाकर रखें और बची हुई जूठन ठीक से डिस्पोज़ करें.
- डॉ श्रुति अग्रवाल
अच्छा आलेख
साधूवाद