मात्र उपवास रखने भर से नियंत्रित हो जाएगी ब्लड शुगर : वैज्ञानिकों का दावा

अभी हाल में ही अमेरिका के वैज्ञानिकों नें मान लिया कि मधुमेह नामक बीमारी को ठीक किया जा सकता है. और वह भी मात्र उपवास और प्राकृतिक भोजन के उपयोग से. अब शायद भारत का मीडिया कुछ दिनों या महीनों के बाद इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे और लोग इसे समझें.
भारत में अनुमानत: 7 करोड़ मधुमेह के रोगी हैं. मधुमेह के रोग में आपके शरीर का एक अंग जिसे अग्नयाशय (pancreas) कहते हैं इंसुलिन नामक रसायन बनाना बंद कर देता है. जिसके कारण आपका पूरा शर्करा (sugar) जिसका आप सेवन करते हैं सदुपयोग न हो कर शरीर में जमना शुरू कर देगा और विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करेगा.
यह हमेशा से कहा जाता है कि मधुमेह अपने आप में कोई बड़ी बीमारी नहीं है परंतु उससे होने वाली शरीर में अधिक जटिलता होने के कारण अन्य बीमारी हो जाएंगी.
यह क्यों होती है? कुछ लोग इसका कारण आनुवांशिक (genetic) बताते हैं. बाकी कोई इसका कारण कुछ नहीं बताते या ऐसा कारण बताते है जो आपके बस में नहीं हैं जैसे प्रदूषण, आधुनिक जीवन शैली इत्यादि.
अब एक सीधा सा प्रश्न यदि अग्नाशय अचानक इंसुलिन को पर्याप्त मात्र में बनाना बन्द करे तो कुछ तो कारण होगा. वह कारण यदि दुरुस्त किया जाये जो वह ठीक भी हो सकता है. हमारे परंपारिक जीवन में उपवास के तहत यही किया जाता है और आज उस सिद्धांत को पूरा विश्व मान्यता देता है परंतु भारत ही नहीं मानता. इसी उपवास के सिद्धान्त से शरीर को ठीक करने की कला को नाम दिया autophagy और इस पर जापान के येशुनीरी को नोबल पुरुस्कार से सम्मानित भी किया गया है.
अब इस को समझते हैं कि भारत में ऐसा क्यों किया जाता है. दरअसल आज़ादी के बाद से आज तक हमें अपनी परंपरा का गौरव नहीं बताया जाता. 12 कक्षा तक की शिक्षा को मैंने बहुत ध्यान से देखा है कहीं पर भी इस उपवास का महत्व नहीं बताया गया.
चाहे जीव विज्ञान हो जा सामाजिक ज्ञान के रूप में. रही बात कि भारत की चिकित्सा पद्धति इसमें भी तथाकथित MBBS का syllabus भारत ने नहीं बनाया अपितु विदेशियों ने जो दे दिया हमने लिख लिया जो आज तक ढोते जा रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों से स्वामी रामदेव ने योग का प्रचार किया और उसे जब विदेशियों के स्वीकृति दे दी तब जा कर आधुनिक चिकित्सक सार्वजनिक रूप से इसका महत्व बताने लगे.
इस विषय पर मेरे मित्र डॉक्टर विश्वरूप चौधरी लगभग 8 वर्षों से निरंतर कार्यरत है. यही उपचार का कार्यक्रम स्वर्गीय राजीव दीक्षित भाई भी बताया करते थे. यह तो वह नाम हैं जिनसे मेरा निजी संबंध रहा है. ऐसे ही न जाने भारत में कितने लोग इस के समाधान में लगे हैं परन्तु उनको यह दावा कंपनियों का मकड़जाल आगे नहीं निकालने देता.
इसके आर्थिक पहलू से आप यह समझ लेंगे. भारत में इन दवाओं का कारोबार 9000 करोड़ से अधिक का है. और यह 10-15% की दर से बढ़ा जा रहा है या यूं कहिए कि बढ़ाया जा रहा है.
इसे कैसे बढ़ाया जाता है यह भी समझें सन 1979 में मधुमेह के रोगी का शर्करा या शुगर 200 से अधिक होना चाहिए. फिर 1993 से पहले इसको 160/100 कर दिया उस समय चीन में 3.5% लोग इसके रोगी थे और एक रात में मानक बदलने के साथ ही 8% हो गए. फिर 1993 में 140/90 कर दिया और लोग बीमार हो गए मानक बदलते ही. आज इसका मानक HbA1c टेस्ट पर भी कर दिया है. आप स्वयं सोचें कि यह सारा जाल बनवा कर मात्र 40 वर्षों में बीमारी के मानक बदल गए.
– आदर्श धवन
इस चटनी के खाने से नियंत्रित होगी ब्लड शुगर
लहसुन – 4 कली
अदरक – 1 इंच
पुदीना – 50 gm
अनार के दाने – 50 gm
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