जापान, लव इन टोक्यो : KAISEKI आध्यात्मिक अनुभव जैसा भोजन

कावागुची-को से हम अपने बहुप्रतीक्षित गंतव्य, किनोसाकी, की तरफ चल दिए. टोक्यो पहुंचकर बुलेट ट्रेन से क्योटो जाना था और वहां से किनोसाकी के लिए ट्रेन बदलनी थी. उत्सुकतावश बुलेट ट्रेन के इंजन तक घूमने चले गए. ड्राइवर ने हमें देखा और सर झुकाकर हमारा अभिवादन किया.
फिर हम अपने कोच में बैठ गए. कुछ ही देर में टिकट एग्जामिनर आया. कोच में घुसते ही उसने झुककर सभी यात्रियों का अभिवादन किया. फिर मैंने ध्यान दिया कि जब हमारे कोच से निकल रहा था तो वह यात्रियों की तरफ मुड़ा और फिर झुककर हमारा अभिवादन किया और अगले कोच में चला गया.
फिर खाद्य पदार्थ बेचने वाली कर्मचारी एक ट्रॉली के साथ कोच में घुसी. उसने भी झुक कर यात्रियों का अभिवादन किया. फिर सबको सामान बेचने लगी. मैंने नोटिस किया की सभी खाद्य वस्तुओं का उतना ही दाम था जितने में आप स्टेशन या बाहर के किसी सुपरमार्केट में खरीद सकते थे. अगले कोच में जाने के पहले वह कर्मचारी हम लोग की तरफ मुड़ी; उसने फिर झुककर हमारा अभिवादन किया और अगले कोच में अपने ट्रॉली ले कर चली गई.
जितनी बार कोई भी कर्मचारी कोच में प्रवेश करता या बाहर जाता था, यात्रियों का अभिवादन सर झुकाकर करता था.
किनोसाकी अपने ओनसेन या प्राकृतिक रूप से गरम पानी के झरनों या स्रोतो के लिए जाना जाता है. किनोसाकी में 7 अलग-अलग तापमान तथा खनिज से भरपूर प्राकृतिक स्रोत है जिनमें आप नहा सकते हैं. हम पारंपरिक जापानी घर रयोकान में रुके. इस अतिथि गृह को कुछ ट्रेवल बुक जापान का सर्वश्रेष्ठ रयोकान मानते हैं.
रयोकान के निर्माण में सिर्फ प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है जैसे लकड़ी, मिट्टी, पेपर, घास, बांस तथा पत्थर. पूरा का पूरा घर सादगी से भरपूर. इक्का-दुक्का फर्नीचर के अलावा पूरा घर खाली मिलता है. लोग “ततामी” गद्दा बिछा के जमीन पे सोते हैं और उठने पर उस गद्दे को तह लगाकर अलमारी के पीछे रख देते हैं.
रयोकान में प्रवेश करते ही जूता उतरवा दिया जाता है. लकड़ी की सैंडल “गेता” पहनकर आप चेक इन करते हैं. फिर आपको रयोकान घुमाया जाता है और रूम दिखाया जाता है. उसी रूम में एक तोकोनोमा या पवित्र स्थान होता है जिसमे ताजे फूलों की सज्जा होती है या जापानी पवित्र प्रार्थना लिखा ताम्रपत्र लटका होता है.
स्टे के दौरान आपके लिए एक निजी सेविका नियुक्त की जाती है जो आपके रूम की सफाई, ततामी गद्दा बिछाएगी, समेटेगी, नाश्ता और “कायसेकी” डिनर सर्व करेगी. रूम में आपको जापानी परिधान युकाता या सूती कीमोनो पहनना होता है और गेता पहनकर घूमना होता है. टॉयलेट की चप्पल अलग है जहाँ गेता नहीं ले जा सकते. रूम के बाहर मनमोहक जापानी बगीचा होता है जिसके तालाब में लाल-नारंगी रंग की “कोई” मछलियां तैरती रहती हैं.

हमारी निजी सेविका का नाम अयाको था. अयाको-सान ने सर झुकाकर हमारा अभिभावन किया और जापानी चाय पूरे विधि-विधान से सर्व की. पता नहीं कैसे, उन्हें हमारी एक-एक आवश्यकता का पता था. कब हम बाहर गए और लौटे तो ततामी गद्दे बिछे मिले, रूम साफ़-सुथरा मिला, इत्यादि.

ब्रेकफास्ट और कायसेकी डिनर रूम में सर्व होता है. युकाता पहने हुए हम जमीन पे पलथी मार के बैठते हैं और भोजन टेबल पर सर्व होता है. एक-एक व्यंजन बेहद खूबसूरत चीनी मिट्टी, पत्थर, बांस इत्यादि के बर्तनों, प्लेट, कटोरी इत्यादि में परोसा जाता है. ऐसा लगता है कि एक-एक प्रस्तुति अपने आप में एक कलाकृति हो. अयाको-सान हमें हर व्यंजन के बारे में समझाती थी कि वह कौन से फूल, सब्जी, तना, जड़ से और कैसे बनाया गया है. पता नहीं उन्हें कैसे पता चल जाता था कि हमने कब व्यंजन समाप्त कर दिया और वे दूसरे व्यंजन के साथ प्रकट हो जाती थी.

पूरे कायसेकी डिनर में लगभग तीन घंटे लगते हैं. समझ में नहीं आता था कि भोजन कर रहे है, या किसी उत्कृष्ट कलाकृति को आत्मसात कर रहे है, या फिर अध्यात्म का अनुभव कर रहे हैं.
लेकिन भोजन के परे किनोसाकी के ओनसेन में स्नान भी करना था. हालांकि रयोकान के अंदर दो ओनसेन थे तथा हमारे रूम में भी एक छोटा सा निजी ओनसेन था, लेकिन शहर के पब्लिक रयोकान में डुबकी लगाने का अलग ही अनुभव था. ओनसेन में स्नान करने के सख्त नियम होते हैं, चाहे वे अतिथि गृह के अंदर हो, या फिर सार्वजनिक हो.
अगली बार ओनसेन के बारे में.
– अमित सिंघल