आचार्य राजेश कपूर : क्या है संकल्प शक्ति का जादू?

द सीक्रेट नाम की एक पुस्तक है। द सीक्रेट नाम की एक वीडियो / फिल्म भी है। उस में बताया गया है कि हम अपनी संकल्प शक्ति को कैसे बलवान बनाकर, अपनी लौकिक इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।
संकल्प शक्ति के चमत्कारी प्रयोगों के बारे में सिखाने वाले अनेक पश्चिमी विद्वान हैं जो भारी फ़ीस लेकर यह सिखाते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि द सीक्रेट नाम की पुस्तक और मूवी में जो दिखाया गया उसके अतिरिक्त कोई ऐसी बात है जो छुपा दी गई है, वह छुपाई गई जानकारी काफी पैसा लेकर बताई जाती है। वह क्या है यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है?
भारत में संकल्प शक्ति के प्रयोग से लौकिक वस्तुओं को प्राप्त करना छोटी बात माना गया है। यद्यपि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करना वर्जित नहीं है। तो भी संकल्प शक्ति के प्रयोग से व्यक्ति के व्यक्तित्व को ऊंचा उठाना और अलौकिक से दिव्य शक्तियों तक की यात्रा करना श्रेष्ठ है। आप यूं भी कह सकते हैं की मानव जीवन के परम लक्ष्य को पाना, ईश्वर की प्राप्ति, मोक्ष की प्राप्ति, जन्म मरण के बंधन से मुक्ति; यह सब एक ही अर्थ को बताते हैं।
वास्तव में प्रत्येक मानव के जीवन का उद्देश्य क्या है, इस पर भारत के अतिरिक्त पश्चिम जगत में विचार नहीं हुआ। केवल भारत के साधु-संन्यासियों, साधकों ने इस पर गहन चिंतन व प्रयोग किए हैं। उनका मानना और कहना है कि इस शरीर का सर्वोत्तम उत्तम उपयोग और उद्देश्य जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाना है। मानव जीवन का उद्देश्य मोक्ष पाना है।
तो संकल्प शक्ति से लौकिक वस्तुओं की प्राप्ति इन उद्देश्यों के सामने बहुत गौण हो जाता है, छोटी बात है। अतः साधना और संकल्प शक्ति का श्रेष्ठतम् उपयोग है दिव्यता को प्राप्त करना, मानव जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करना।
यह भारतीय चिंतन है जो हमें पूर्णता की ओर ले जाता है न कि क्षणिक शारीरिक भोगों की ओर। अब फिर से उसी प्रश्न की ओर लौटते हैं कि संकल्प शक्ति का प्रयोग करने के लिए वह कौन सा रहस्य है जिसे बताने के लिए पश्चिम के मास्टर लाखों रुपया लेते हैं?
वह रहस्य हम भारतीयों के लिए अच्छी तरह जाना बुझा है। वह है अपनी प्रजनन शक्ति की रक्षा करना, ब्रम्हचर्य का पालन करना। जिस प्रकार तेल के बिना बाती नहीं जलती, इस प्रकार शरीर के रसों की रक्षा किए बिना मानव अपने भीतर छुपी दिव्य शक्तियों को नहीं जगा सकता। केवल रक्षा नहीं उस ऊर्जा को मूलाधार से ऊपर उठाकर सहस्रार तक ले जाना। या यूं कहें जब तक संयम नहीं बनता तब तक मानव जीवन के उच्च लक्ष्य को पाना असंभव है।
हमारी विडंबना यह है कि आधुनिक समाज और आधुनिक शिक्षा पश्चिम के प्रभाव में संयम व साधना के महत्व को भुला बैठा है। इसलिए हमारी युवा पीढ़ी इन बातों से कोसों दूर है। इसके बारे में न तो उन की क्षमता बची है और ना इसके बारे में उन्हें थोड़ी भी समझ है। उनका कोई दोष नहीं। जो व्यवस्था, तंत्र आज चल रहा है, उसमें यह सब सिखाने-बताने की व्यवस्था है ही नहीं। अतः हम अपनी युवा पीढ़ी को दोष नहीं दे सकते।
अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह पैदा होता है कि ऐसा तंत्र, ऐसी व्यवस्था चलाने के पीछे किन्हीं शक्तियों का क्या कोई विशेष उद्देश्य है? जी हां निश्चित रूप से है। वास्तव में प्रजनन की प्रचंड शक्ति के संरक्षण संवर्धन से ही अद्भुत ऊर्जा पैदा होती है। उसी से शंकराचार्य, विवेकानंद, चंद्रशेखर, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस पैदा होते हैं।
वे पैदा ना हों, इसी को ध्यान में रखकर हमारे सारे समाज को, युवा पीढ़ी को वासना के गर्त में धकेलने की मजबूत व्यवस्था की गई है। अब जो है सो है। हम जहां हैं, वहीं से तो आगे जाने का काम शुरू होगा। वस्तुगत स्थितियों को समझकर इसमें से कैसे बाहर निकलना है, इस पर विचार करना होगा। उस चिंतन में से एक उत्तम परिकल्पना और योजना को लेकर आगे बढ़ना होगा, काम करना होगा।
अनेक महान आत्माएं और संगठन इस पर काम कर रहे हैं।
तो संकल्प शक्ति पर किए प्रश्न के बहाने इस विषय पर लिखने की प्रेरणा जिनके कारण हुई, मैं उनका हृदय से आभारी हूँ।
– आचार्य राजेश कपूर
(परिचय : वैद्य राजेश कपूर गोविज्ञान पर अनेक वर्षों से अध्ययन और शोध कार्य कर रहे हैं। इन्होंने पंचगव्य के अनेक शास्त्रीय एवं नए योग बनाए हैं और हजारों गोभक्तों को प्रशिक्षित किया है।
इनके शोध पत्र आयुष विभाग (भारत सरकार) व प्रदेश सरकारों द्वारा छापे गए हैं। विज्ञान भवन दिल्ली में भी शोध पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं। नवीन पंचगव्य उत्पाद बनाने पर इतना शोधकार्य शायद ही किसी और ने किया होगा।
ऊर्जा विज्ञान पर इनकी खोजों के कारण देश ही नहीं, विदेशों में भी इनकी एक पहचान बनी है। सैकड़ों पंचगव्य चिकित्सक इनका मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं। यह सब सीखने का अवसर आपको कहीं और शायद ही मिले।
अमर हुतात्मा श्री राजीव दीक्षित जी के अधूरे अभियान को पूरा करने में वैद्य राजेश कपूर जी का ज्ञान अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।)
मानो या न मानो : सिर्फ़ सोचने भर से सब हो जाता है
बहुत सुन्दर, सही और उपयोगी जानकारी दी गई है. मै और मेरा मित्र परिवार, अपके साथ जुड़ना चाहते हैं.
गुजरात में , खासकर अमदावाद और राजकोट शहर तथा डीस्टरिक्ट में काम करने की कोशिश कर सकते हैं.
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